विभीषण कृत हनुमान स्तोत्रम् – शक्ति, भक्ति और रक्षा का अद्भुत स्तोत्र
✍️ परंपरागत लेखक: लंकेश भ्राता श्री विभीषण जी
विभीषण कृत हनुमान स्तोत्र/ हनुमान वडवानल स्तोत्र क्या है?
विभीषण कृत हनुमान स्तोत्र एक अत्यंत प्रभावशाली संस्कृत स्तुति है जिसे रावण के धर्मात्मा भाई विभीषण ने रचा था। यह स्तोत्र भगवान हनुमान के शौर्य, सेवा, भक्ति और परम रक्षक रूप का स्तुति करता है।
📜 यह स्तोत्र विभीषण द्वारा हनुमान जी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के रूप में रचा गया था जब हनुमान जी ने लंका में सीता माता को खोजा और विभीषण को श्रीराम की शरण में आने का मार्ग दिखाया।
🧭 विभीषण कौन थे?
विभीषण रावण के छोटे भाई और लंका के एकमात्र धर्मनिष्ठ व्यक्ति थे। उन्होंने अन्याय और अधर्म का विरोध कर श्रीराम की शरण ली और हनुमान जी को अपना पथप्रदर्शक व प्रेरणास्त्रोत माना। रावण वध के पश्चात श्रीराम ने उन्हें लंका का राजा नियुक्त किया।
🪔 स्तोत्र का नाम
“श्री हनुमत् स्तोत्रम् (विभीषण कृतम्) / हनुमान वडवानल स्तोत्र”
संस्कृत में रचित यह स्तोत्र भक्ति और सुरक्षा का अद्भुत मिश्रण है।
विभीषण कृत हनुमान स्तोत्रम्
हनुमान वडवानल स्तोत्र
नमो हनुमते तुभ्यं नमो मारुतसूनवे
नमः श्रीराम भक्ताय शयामास्याय च ते नमः।।
नमो वानर वीराय सुग्रीवसख्यकारिणे
लङ्काविदाहनार्थाय हेलासागरतारिणे।।
सीताशोक विनाशाय राममुद्राधराय च
रावणान्त कुलचछेदकारिणे ते नमो नमः।।
मेघनादमखध्वंसकारिणे ते नमो नमः
अशोकवनविध्वंस कारिणे भयहारिणे।।
वायुपुत्राय वीराय आकाशोदरगामिने
वनपालशिरश् छेद लङ्काप्रसादभजिने।।
ज्वलत्कनकवर्णाय दीर्घलाङ्गूलधारिणे
सौमित्रिजयदात्रे च रामदूताय ते नमः।।
अक्षस्य वधकर्त्रे च ब्रह्म पाश निवारिणे
लक्ष्मणाङग्महाशक्ति घात क्षतविनाशिने।।
रक्षोघ्नाय रिपुघ्नाय भूतघ्नाय च ते नमः
ऋक्षवानरवीरौघप्राणदाय नमो नमः।।
परसैन्यबलघ्नाय शस्त्रास्त्रघ्नाय ते नमः
विषघ्नाय द्विषघ्नाय ज्वरघ्नाय च ते नमः।।
महाभयरिपुघ्नाय भक्तत्राणैककारिणे
परप्रेरितमन्त्रणाम् यन्त्रणाम् स्तम्भकारिणे।।
पयःपाषाणतरणकारणाय नमो नमः
बालार्कमण्डलग्रासकारिणे भवतारिणे।।
नखायुधाय भीमाय दन्तायुधधराय च
रिपुमायाविनाशाय रामाज्ञालोकरक्षिणे।।
प्रतिग्राम स्तिथतायाथ रक्षोभूतवधार्थीने
करालशैलशस्त्राय दुर्मशस्त्राय ते नमः।।
बालैकब्रह्मचर्याय रुद्रमूर्ति धराय च
विहंगमाय सर्वाय वज्रदेहाय ते नमः।।
कौपीनवासये तुभ्यं रामभक्तिरताय च
दक्षिणाशभास्कराय शतचन्द्रोदयात्मने।।
कृत्याक्षतव्यधाघ्नाय सर्वकळेशहराय च
स्वाभ्याज्ञापार्थसंग्राम संख्ये संजयधारिणे।।
भक्तान्तदिव्यवादेषु संग्रामे जयदायिने
किलकिलाबुबुकोच्चारघोर शब्दकराय च।।
सर्पागि्नव्याधिसंस्तम्भकारिणे वनचारिणे
सदा वनफलाहार संतृप्ताय विशेषतः।।
महार्णव शिलाबद्धसेतुबन्धाय ते नमः
वादे विवादे संग्रामे भये घोरे महावने।।
सिंहव्याघ्रादिचौरेभ्यः स्तोत्र पाठाद भयं न हि
दिव्ये भूतभये व्याघौ विषे स्थावरजङ्गमे।।
राजशस्त्रभये चोग्रे तथा ग्रहभयेषु च
जले सर्पे महावृष्टौ दुर्भिक्षे प्राणसम्प्लवे।।
पठेत् स्तोत्रं प्रमुच्येत भयेभ्यः सर्वतो नरः
तस्य क्वापि भयं नास्ति हनुमत्स्तवपाठतः।।
सर्वदा वै त्रिकालं च पठनीयमिदं स्तवं
सर्वान् कामानवाप्नोति नात्र कार्या विचारणा।।
विभीषण कृतं स्तोत्रं ताक्ष्येर्ण समुदीरितम्
ये पठिष्यन्ति भक्तया वै सिद्धयस्तत्करे सि्थताः।।
विभीषण कृत हनुमान स्तोत्र के लाभ
लाभ | विवरण |
---|---|
🛡️ भय व चिंता से मुक्ति | मानसिक शांति और साहस में वृद्धि |
🔥 नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा | तंत्र-मंत्र, नजर दोष, भय व शत्रु बाधा से सुरक्षा |
🧠 चिंतन में स्पष्टता | आत्मविश्वास व निर्णय क्षमता बढ़ती है |
🙏 रामभक्ति की गहराई | श्रीराम से जुड़ाव गहरा होता है |
🎯 संकट निवारण | रोग, कर्ज, परीक्षा, इंटरव्यू या कोर्ट केस में सहायक |
📿 पाठ विधि
चरण | विधि |
---|---|
⏰ समय | प्रातःकाल या संध्या, विशेषतः मंगलवार और शनिवार को |
📍 स्थान | मंदिर, घर का पूजन स्थान, या शांत स्थल |
🙏 विधि
- स्नान कर लाल वस्त्र पहनें
- दीपक जलाएं, लाल फूल चढ़ाएं
- हनुमान जी का ध्यान कर स्तोत्र पढ़ें
- अंत में “ॐ हनुमते नमः” का जप करें और आरती करें
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🙋♂️ विभीषण कृत हनुमान स्तोत्र (FAQs)
❓ हनुमान स्तोत्र किसने लिखा?
📜 यह स्तोत्र विभीषण द्वारा रचा गया है, जिन्होंने अधर्म का त्याग कर श्रीराम की शरण ली थी।
❓ यह स्तोत्र कब पढ़ना चाहिए?
📿 इसे मंगलवार, शनिवार, या जब भय, चिंता या संकट हो – तब पढ़ना अत्यंत फलदायक है।
❓ क्या यह सभी पढ़ सकते हैं?
✅ हाँ! यह स्तोत्र जाति, उम्र, लिंग से परे सभी भक्तों के लिए है।
❓ क्या यह हनुमान चालीसा से अलग है?
✅ हां, यह एक संस्कृत स्तोत्र है, जबकि हनुमान चालीसा गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा अवधी में रचित 40 चौपाइयों वाला पाठ है।
❓ क्या नियमित पाठ से विशेष फल मिलता है?
🙏 हां। नियमित पाठ से आत्मबल, आध्यात्मिक सुरक्षा और संकटमोचन की कृपा प्राप्त होती है।
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