आंजनेय चालीसा

आंजनेय चालीसा – गोस्वामी तुलसीदास रचित 40 चमत्कारी चौपाइयाँ

✍️ लेखक: गोस्वामी तुलसीदास

आंजनेय चालीसा क्या है?

अंजनेय चालीसा हनुमान जी की स्तुति में रचित एक भक्ति पूर्ण स्तोत्र है, जिसमें 40 चौपाइयाँ होती हैं। यह वही रचना है जिसे सामान्यतः हम हनुमान चालीसा के रूप में जानते हैं। दक्षिण भारत व अनेक भक्तों द्वारा हनुमान जी को “अंजनेय” (अंजना के पुत्र) कहकर पुकारा जाता है, इसलिए इसे अंजनेय चालीसा कहा जाता है।

इस चालीसा की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी, जो रामचरितमानस और अन्य भक्ति ग्रंथों के रचयिता भी हैं।

🧭 आंजनेय कौन हैं?

“आंजनेय” शब्द का अर्थ होता है – अंजना का पुत्र। हनुमान जी को अंजना और पवन देव से उत्पन्न माना जाता है। वे:

  • महाबलवान हैं
  • रामभक्त हैं
  • संकटनाशक हैं
  • विद्यावान, गुणी और चतुर हैं
  • अजर, अमर और शक्तिशाली हैं

आंजनेयचालीसा हिंदी में

दोहा

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार
बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार

चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥१॥

राम दूत अतुलित बल धामा
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥२॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी॥३॥

कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुंडल कुँचित केसा॥४॥

हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे
काँधे मूँज जनेऊ साजे॥५॥

शंकर सुवन केसरी नंदन
तेज प्रताप महा जगवंदन॥६॥

विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर॥७॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मनबसिया॥८॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा॥९॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे
रामचंद्र के काज सवाँरे॥१०॥

लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥११॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई॥१२॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावै
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥१३॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा॥१४॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥१५॥

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥१६॥

तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना॥१७॥

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू
लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥१८॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही
जलधि लाँघि गए अचरज नाही॥१९॥

दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥२०॥

राम दुआरे तुम रखवारे
होत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥२१॥

सब सुख लहैं तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना॥२२॥

आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हाँक तै कापै॥२३॥

भूत पिशाच निकट नहि आवै
महावीर जब नाम सुनावै॥२४॥

नासै रोग हरे सब पीरा
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥२५॥

संकट तै हनुमान छुडावै
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥२६॥

सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा॥२७॥

और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै॥२८॥

चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा॥२९॥

साधु संत के तुम रखवारे
असुर निकंदन राम दुलारे॥३०॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता॥३१॥

राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा॥३२॥

तुम्हरे भजन राम को पावै
जनम जनम के दुख बिसरावै॥३३॥

अंतकाल रघुवरपुर जाई
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥३४॥

और देवता चित्त ना धरई
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥३५॥

संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥३६॥

जै जै जै हनुमान गुसाईँ
कृपा करहु गुरु देव की नाई॥३७॥

जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बंदि महा सुख होई॥३८॥

जो यह पढ़े हनुमान चालीसा
होय सिद्ध साखी गौरीसा॥३९॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥४०॥

दोहा

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

आंजनेय चालीसा पाठ के लाभ

लाभ विवरण
🛡️ संकट से रक्षा बुरी शक्तियों, नकारात्मक ऊर्जा और भय से मुक्ति
🙏 भक्ति में वृद्धि श्रीराम और हनुमान जी के प्रति प्रेम और विश्वास में वृद्धि
🧘 मानसिक शांति चिंता, तनाव और भ्रम से मुक्ति
🔥 बल, बुद्धि और साहस आत्मबल, स्मरण शक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि
🎯 मनोकामना पूर्ति रोग, परीक्षा, मुकदमा, कर्ज़ आदि में सफलता

आंजनेय चालीसा की विशेषताएँ

पक्ष विवरण
✒️ चौपाइयाँ 40
🕉️ भाषा अवधी
📜 शैली सरल, सजीव, और प्रभावशाली
🔚 शुरुआत और अंत एक दोहा प्रारंभ में और एक दोहा अंत में होता है

आंजनेय चालीसा पाठ का सर्वोत्तम समय

  • मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से
  • नित्य पाठ भी किया जा सकता है
  • संकट के समय, परीक्षा, यात्रा या किसी भी चुनौतीपूर्ण परिस्थिति में

अंजनेय चालीसा पाठ विधि:

स्नान कर लाल वस्त्र पहनें, दीपक जलाएं, “ॐ हनुमते नमः” 11 बार जपें, फिर श्रद्धा और भक्ति से चालीसा का पाठ करें।

📥  अंजनेय चालीसा पीडीएफ और ऑडियो संसाधन
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🎧 ऑडियो श्रवण करें

अंजनेय चालीसा (FAQs)

❓ क्या अंजनेय चालीसा और हनुमान चालीसा अलग हैं?
❌ नहीं। दोनों एक ही रचना हैं, केवल नाम अलग है। दक्षिण भारत में हनुमान जी को “अंजनेय” कहा जाता है, इसलिए चालीसा को अंजनेय चालीसा कहा जाता है।

❓ इसका रचयिता कौन है?
✍️ इस चालीसा की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी, जो रामभक्ति के महान संत थे।

❓ क्या स्त्रियाँ और बच्चे भी इसका पाठ कर सकते हैं?
✅ हां। कोई भी व्यक्ति — उम्र, लिंग या जाति से परे — श्रद्धा से इसका पाठ कर सकता है।

❓ इसका पाठ कब करना चाहिए?
🕰️ मंगलवार और शनिवार को सर्वोत्तम होता है, लेकिन इसे प्रतिदिन भी पढ़ा जा सकता है।

❓ क्या इसका नित्य पाठ लाभकारी होता है?
✅ नित्य पाठ से आत्मबल, भक्ति, साहस और श्रीराम कृपा की प्राप्ति होती है।

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