शनि स्तोत्र | Dashrath Krit Shani Stotram PDF

शनि स्तोत्र – राजा दशरथ द्वारा रचित अमोघ स्तुति | अर्थ, पाठ विधि, लाभ और FAQ

लेखक: राजा दशरथ

शनि स्तोत्र क्या है? What is Shani Stotram

शनि स्तोत्र एक पवित्र और शक्तिशाली स्तुति है जिसे राजा दशरथ ने रचा था। यह स्तोत्र उस समय रचा गया जब राजा दशरथ ने शनि देव के प्रकोप से अपने राज्य और जनता की रक्षा के लिए प्रार्थना की थी।

शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनि साढ़ेसाती, ढैय्या, और अन्य शनि दोषों से बचाव होता है। यह स्तोत्र शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों को शांत कर व्यक्ति को मानसिक शांति, करियर स्थिरता, और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।

शनि स्तोत्र का पौराणिक संदर्भ

वाल्मीकि रामायण और कई पुराणों के अनुसार, जब शनि ग्रह ने अयोध्या में प्रवेश करना चाहा तो राजा दशरथ ने उसे रोकने के लिए युद्ध तक की घोषणा कर दी थी। शनि देव, दशरथ की वीरता और भक्ति से प्रसन्न होकर, शांत हो गए और उन्हें यह स्तोत्र रचने का आशीर्वाद दिया।

दशरथकृत शनि स्तोत्र:

Dashrath Krit Shani Stotram Hindi Lyrics

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च ।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥1॥

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ॥2॥

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम: ।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥3॥

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: ।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥4॥

नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते ।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥5॥

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते ।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ॥6॥

तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ॥7॥

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ॥8॥

देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा: ।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत: ॥9॥

प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे ।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल: ॥10॥

दशरथ उवाच:
प्रसन्नो यदि मे सौरे ! वरं देहि ममेप्सितम् ।
अद्य प्रभृति-पिंगाक्ष ! पीडा देया न कस्यचित् ॥

शनि स्तोत्र के लाभ (Benefits of Shani Stotra)

लाभ विवरण
🔱 शनि साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम करता है
🙏 जीवन में शांति और संतुलन मानसिक तनाव, भय और चिंता को कम करता है
💼 करियर और आर्थिक सुधार अटके हुए काम पूरे होते हैं, निर्णय शक्ति मजबूत होती है
🧘‍♂️ आत्मबल और अनुशासन व्यक्ति में संयम, धैर्य और अनुशासन का विकास होता है
🔮 आध्यात्मिक उन्नति मन स्थिर होता है और ध्यान में गति मिलती है

शनि स्तोत्र पाठ विधि (How to Recite Shani Stotra)

  • उपयुक्त दिन: शनिवार (शनिदेव का दिन)
  • समय: प्रातःकाल या सूर्यास्त के समय
  • सामग्री: काले तिल, सरसों का तेल, नीले फूल, दीपक
  • विधि: शनिदेव के चित्र या मूर्ति के सामने बैठकर 3, 7 या 11 बार स्तोत्र का पाठ करें

 शनि स्तोत्र से जुड़े 10 महत्त्वपूर्ण प्रश्न (Shani Stotra FAQ)

1. शनि स्तोत्र किसने लिखा है?
➡️ शनि स्तोत्र को राजा दशरथ ने लिखा था जब उन्होंने शनि देव को प्रसन्न किया।

2. शनि स्तोत्र कब पढ़ा जाना चाहिए?
➡️ शनिवार के दिन या शनि साढ़ेसाती/ढैय्या के समय इसका पाठ विशेष फलदायी होता है।

3. क्या शनि स्तोत्र रोज पढ़ सकते हैं?
➡️ हाँ, इसे रोज़ पढ़ सकते हैं लेकिन शनिवार को विशेष फल मिलता है।

4. क्या शनि स्तोत्र से साढ़ेसाती के प्रभाव कम होते हैं?
➡️ जी हाँ, यह स्तोत्र शनि के दोषों से राहत देने वाला माना गया है।

5. पाठ करते समय क्या अर्पण करें?
➡️ सरसों का तेल, नीले फूल, और काले तिल का उपयोग करें।

6. क्या महिलाएं शनि स्तोत्र पढ़ सकती हैं?
➡️ हाँ, श्रद्धा से कोई भी स्तोत्र का पाठ कर सकता है।

7. क्या शनि स्तोत्र मोबाइल से पढ़ना उचित है?
➡️ अगर श्रद्धा और एकाग्रता बनी रहे तो मोबाइल से पढ़ा जा सकता है।

8. शनि स्तोत्र और शनि चालीसा में क्या अंतर है?
➡️ शनि चालीसा 40 चौपाइयों का भजन है, जबकि शनि स्तोत्र संस्कृत में रचित स्तुति है जो अधिक पारंपरिक है।

9. क्या शनि स्तोत्र से कोर्ट केस या शत्रु बाधा में लाभ होता है?
➡️ हाँ, कई लोग इसका प्रयोग कोर्ट केस, मुकदमे और सरकारी रुकावटों से बचने के लिए करते हैं।

10. शनि स्तोत्र कहां से प्राप्त करें?
➡️ आप इसे HanumanChalisaHindi.com वेबसाइट से पढ़ या डाउनलोड कर सकते हैं।

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